Maa Ka Sapna | माँ का सपना | Maa Ko Samarpit Ek Sacchi Kahani | Hindi Story

Maa Ka Sapna | Maa Ko Samarpit Ek Sacchi Kahani | एक कहानी ऐसी भी जो आपके दिल को छू जाए 

गर्मी के मौसम में सुबह सुबह पंछियो की मधुर आवाज  के साथ माँ की आवाज गूंजते हुवे सुनाई दी आज भी शायद रोहन को कॉलेज के लिए देर होने जा रही थी लेकिन माँ ने देर होने से बचा लिया। माँ जाने कब उठी क्योकि रात में सब सो चुके थे माँ तब भी रसोई घर में ही थी।  पापा भी अपना नाश्ता करके जा चुके थे और अब माँ की एक बार फिर आवाज आई रोहन उठ जा बेटा,आज कॉलेज नहीं जाना है क्या ? रोहन ने आवाज दी है माँ जाना है और ये कहते हुवे रोहन उठा और नहाने चला गया। 
 
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नहाने के बाद वो नाश्ता करने पंहुचा तब तक माँ उसके लिये नाश्ता ला चुकी थी रोहन ने माँ की और देखा और बोलै
माँ तुमने नाश्ता किया?
माँ ने एक मधुर सी मुस्कान बिखेर के कहा - हां बेटा मैंने कर लिया है तू जल्दी से नाश्ता कर ले वार्ना तुझे आज फिर देर हो जायेगी ,रोहन को पता था की माँ ने नाश्ता नहीं किया है फिर उसने माँ से कहा की माँ आज साथ में नाश्ता करते है इतने में रसोईघर से सब्जी के जले की गंध आने लगी और माँ रसोईघर की और जाने लगी
रोहन ने कहा -माँ कभी तो नाश्ता कर लिया करो
माँ ने कहा - मेरा बेटा जिंदगी में कुछ बन जाए फिर तो में आराम ही करुँगी।
फिर रोहन कॉलेज के लिए निकल पढ़ा रास्ते में जाते समय उसे ये ख्याल आ रहा था की माँ हम सबके लिए क्या क्या करती है फिर उसके हिस्से की ख़ुशी उसके हिस्सा का आराम कहा है हम से देर में सोती है हम से जल्दी उठ जाती है किसी समय खाती है और शायद कभी ऐसे ही रही है यह सब सोचते सोचते रोहन कॉलेज पहुंच गया आज उसका रिजल्ट आने वाला था।

Maa Ko Samarpit Ek Sacchi Kahani

 वह एम ए लास्ट वर्ष का विधार्थी था। रोहन की नजर अन्य विद्यार्थियों की तरह नोटिस बोर्ड पे थी जहा रिजल्ट लगा था ,रोहन ने इस बार परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया था वो वहा से सीधे घर की ओर रवाना हुवा क्योकि उसे ये खुशखबरी माँ को जो सुनानी थी। दिन के करीब 1बज रहे थे माँ कपडे धो रही थी ,रोहन ने घर में पहुंचते ही माँ को ये खुशखबरी दी माँ की आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए।
रोहन को माँ ने गले लगा के कहा आज मेरे बेटे ने मुझे दुनिया की हर ख़ुशी दे दी मेरा सपना की मेरा बेटा पढ़ लिख कर काबिल  बन जाए अब पूरा होगा। रोहन ने भी माँ से कहा माँ तेरा सपना जरूर पूरा होगा ये असल में तेरी जीत है।      
 
फिर वक़्त के साथ साथ रोहन को एक अच्छी सरकारी नौकरी लग गयी और उसने माँ से कहा की तुम अब घर का कोई काम नहीं करोगी,हम एक कामवाली रख लेते है इस पर माँ ने कहा मुझे कामवाली नहीं चाहिए बस मेरी बहु आ जाए तो फिर मुझे आराम ही है।वक़्त के साथ साथ रोहन की शादी हो गयी  घर में बहु आ जाने से रौनक आ गयी अब माँ को भी आराम मिलने लगा ,लेकिन हर कहानी का अंत अच्छा और सुखद हो ये जरुरी नहीं होता ,बहु ने कुछ ही दिनों में अलग रहने का मन बना लिया और रोज रोज के कलेश से बचने के लिए माँ ने रोहन को बहु को अपने साथ में दूसरे घर पे रहने को कहा लेकिन रोहन ये सोच रहा था की माँ ने जो सपना देखा था वो ये तो नहीं था। 

अब घडी फैसले की थी रोहन ने अपनी पत्नी को बुलाया और कहा ये वो औरत है जिसस्ने जन्म से लेकर आज तक मुझे हर परेशानी से बचाया है इसे में कैसे छोड़ दू। समस्या गंभीर थी रोहन की पत्नी ने अपने मायके का रॉब दिखाना शुरू कर दिया लेकिन इस बार माँ इस समस्या को और नहीं बढ़ाना चाहती थी वो तो बस इतना ही चाहती थी की उसका बेटा जहा रहे सुखी रहे। माँ बाबूजी अब बूढ़े हो गए थे आज माँ की आंखो में मायूसी साफ़ झलक रही थी लेकिन माँ अब थक चुकी थी 

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  रोहन ने एक फैसला किया और अपनी पत्नी से कहा तुम चाहो तो अपने मायके जा सकती हो लेकिन मुझे मेरी माँ से दूर नहीं कर सकती तुम मुझे चाहे कही ले जाओ लेकिन माँ हमेसा मेरे साथ ही रहेगी।
 इतना सुनते ही रोहन की पत्नी अपना सामान उठा के जाने लगी तब माँ ने अपनी बहु से सिर्फ इतना ही कहा - बेटी वक़्त कभी नहीं ठहरता जहा जिस पड़ाव पे आज में हु कल तुम भी होगी इतना सी बात ने बहु की आँखे खोल दी उसे अपने किये पे बहुत सर्मिंदगी होने लगी वो पश्चाताप से भर गयी,उसने माँ से माफ़ी मांगी और उसे आज इस रिश्ते की समझ आयी की ससुराल में सास ही माँ है और बेटी का ससुराल ही उसका घर है



आज भी माँ रोज रोहन को सुबह आवाज लगाती है आज भी रोहन नहा के ऑफिस के लिए तैयार हो के नाश्ता करने जाता है लेकिन आज वो माँ के साथ नाश्ता कर रहा है बाबूजी पास में बैठे अखबार पढ़ रहे है लेकिन आज रसोईघर की तरफ माँ नहीं उसकी पत्नी जा रही है यही विधि का विधान है और यही सच्चे रिस्तो का मोल ""माँ का देखा सपना सही मायने में आज सच हो चुका है ""
 दोस्तों अगर आपको ये कहानी पसंद आयी तो अपनी राय जरूर दे। 

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