Durga Mata Temple In India (Uttrakhand) - Dunagiri Temple History,Distance,Temperature & How To Reach In hindi,
द्वाराहाट से 15 किलोमीटर और रानीखेत से 49 किलोमीटर दूर जंगल की ऊँची पहाड़ी पर बसा है माँका सुन्दर और सुसज्जित मंदिर,जहा हर ओर हरयाली ही हरयाली है बड़े बड़े देवदार और बाज के पेड़ साथ ही साथ काफल बुरांश हिसालु किलमोड़ी आदि के पेड़ भी इस जंगल की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे है। सड़क मार्ग में माँ के मंदिर का द्वार है जहा से आपको पैदल चलकर जाना होता है मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 450 से 500 सीडिया चढ़नी होती है |
कैसे पहुंचे दुनागिरि - How To Reach Dnagiri ?
क्यों प्रसिद्ध है दुनागिरि शक्तिपीठ
इस शक्तिपीठ का निर्माण त्रेता युग में ही हो गया था जब श्रीराम ने लंका पर आक्रमण किया था और लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध में मेघनाथ के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब राक्षशो के वैध (सुसैन) के कहने पर हनुमान जी पूरा पर्वत उठा ले गए तब रास्ते में इस पर्वत से एक टुकड़ा इस पहाड़ी पर गिर गया तभी से इसका नाम दूनागिरी पड़ा। पर्वत के टुकड़े के इस जगह पर गिरने से यहाँ काफी जड़ी बूटिया भी मिलती है फिर जब कुमाऊं में कत्यूरी राजाओ के शासन का उदय हुवा तो कत्यूरी राजा सुधार देव ने यहाँ मंदिर बनाया ,कत्यूरी राजाओ ने कुमाऊं में एक लम्बे अरसे तक राज किया जिसमे उनका बनाया कटारमल सूर्य मंदिर प्रमुख है।
आइये आपको कुछ महत्वपूर्ण बाते बताते है दुनागिरि के इस मंदिर के बारे में
- माँ वैष्णो देवी के बाद ये माता का दूसरा शक्ति पीठ है ।
- माँ दुनागिरि में माता की मूर्ति नहीं बल्कि शिला रूप की पूजा की जाती है ।
- यहाँ सदैव अखंड ज्योत जली रहती है।
- माँ से मन्नत मांगने के बाद भक्त यहाँ पेड़ो पर और रास्तो की रेलिंग में चुनरी बांधते है मुराद पूरी होने के बाद उसे खोला जाता है।
- माता के इस मंदिर में बलि नहीं दी जाती है यहाँ तक आप यहाँ नारियल भी नहीं फोड़ सकते है अगर आप यहाँ नारियल चढ़ाते है तो उसे जैसा का तैसा घर को ले जाया जाता है ।
- जो दम्पति संतान के सुख से वंचित होते है वो माता के सामने अरदास कर संतान सुख पा जाते है।
- प्रति वर्ष नवंबर दिसम्बर में आप यहाँ आयोजित भंडारे में माँ का प्रशाद ग्रहण कर सकते है।
माँ की आस्था का आस्था का केंद्र है दुनागिरि
दुनागिरि मंदिर से संबंधित कुछ सवाल (FAQ )
जी हां माँ वैष्णो देवी के बाद माता का दूसरा शक्ति पीठ दुनागिरि है ।
यहाँ का नाम दुनागिरि कैसे पड़ा ?
श्रीराम और रावण के बीच जब युद्ध हुवा तब लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध में मेघनाथ के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे जिनके लिए हनुमान जी पूरा पहाड़ उठा लाये इसी पहाड़ का एक टुकड़ा इस जगह पर गिरा जिस वजह से इसे दुनागिरि से जाना जाने लगा।
आप इस शक्ति पीठ में गए है तो बहुत अच्छी बात है और अगर नहीं गए तो जीवन में एक बार जरूर जाए इसी के साथ आज की इस पोस्ट को विराम देती हु पोस्ट अच्छी लगी तो अपने दोस्तों को शेयर जरूर करे।
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