चमु देवता जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है | Chamu Devta | Almora | Majkhali | Uttrakhand
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे देवता के बताने जा रही हु जिसके बारे में आप लोग शायद ही जानते होंगे जब मैं इस ओर जा रही थी तो पूरा रास्ता जंगल का था एकदम शांत वातावरण जैसे जैसे मैं चढाई चढ़ते गयी यहाँ से जो नज़ारे देखने को मिले यकींनन किसी को भी ऐसी जगह से प्यार हो जाए हिमालय की ऊँची ऊँची चोटी पूरी बर्फ से ढकी हुवी उसके पास से छोटे छोटे गावो के नज़ारे गजब का दृश्य था आज मैं आपको वो बताने जा रही हु जो में देख पायी या यु कहे जो भी मैं वहा जा के महसूस कर पायी या समझ पायी। पहले आपको कुछ चमु देवता के बारे में बता देती हु।
धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है चमु देवता का यह मंदिर
चमु देवता का यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला के मजखाली नामक स्थान से लगभग चार से पांच किलोमीटर दूर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है,चीड़ और बाँझ के घने जंगलो से घिरी पहाड़ी इस स्थान पर विराजमान है चमु देवता का यह मंदिर ,पारम्परिक शैली में बना ये मंदिर आज भी उसी हालत में है इस मंदिर को बनाने में सारे पत्थरो का इस्तेमाल किया गया है यह पूरा मंदिर पत्थरो के स्तम्भों पर टिका है मंदिर परिसर में चारो ओर पत्थरो से दीवार दे के मैदान जैसा बनाया गया है। जिसमे हर दिशा की ओर से आने वाले के लिए सीडिया बनायीं गयी है ओर उन्ही सीडियो सी ऊपर परिसर में चारो दिशाओ में चार बड़े बड़े पत्थर रखे गए है जो पुरे समतल है। इसमें चारो दिशाओ में चार द्वार है लेकिन इस में कोई दरवाजा नहीं है इसके अंदर प्रवेश करते ही बीचो बीच में चमु देवता विद्यमान है जिनके चारो कोनो में चार अन्य देवता शिला रूप में बैठे है।
चमु देवता का यह मंदिर जंगल के बीचो बीच सबसे ऊँची पहाड़ी पे मौजूद है यहाँ से आप हिमालय की ऊँची बर्फ से ढकी चोटियों के देख सकते है यहाँ का वातावण एकदम शांत है जो मन को एक असीम सी शांति प्रदान करता है ऊँची छोटी पर होने की वजह से आप यहाँ से दूर दूर तक के दर्शयो का आनंद ले सकते है।
चमु देवता हर कास्तकार के पूजनीय है आज भी जब किसी कास्तकार के घर में गाय या भैस का बच्चा होता है तो उस घर से 22 वे दिन का दूध सबसे पहले चमु देवता को चढ़ाया जाता है । ऐसा करने के पीछे का कारण है की ऐसा करने से चमु देवता उस पशु की रक्षा करंगे और उसे बुरी नजर से बचायेंगे ।
चमु देवता की कहानी
बहुत समय पहले की बात है जब किसान सुबहे से जुताई करने में लग जाते थे तो ज्यादा देर तक बैल दिन में अगर जूते होंगे तो चमु देवता किसानो को आवाज लगा कर बताते थे लेकिन एक बार की बात है एक बार एक किसान काफी देर तक बैलो को जोत के खेत की जुताई करता रहा चमु देवता के आवाज लगाने पैर उसे गुस्सा आ गया ,
उसने जुताई वाले हल को ले जाकर चमु देवता के गले में रख दिया। इससे रुष्ट होकर चमु देवता ने तब से बोलना बंद कर दिया। मान्यता तो यहाँ तक है की चमु देवता के मंदिर में दो छिद्र वाला एक भरी भरकम पत्थर था जिसमे से एक में पानी निकलता था तो दूसरे से दूध उस पानी और दूध को पिया जा सकता था।
लेकिनं आज इस मंदिर की हालत बहुत खराब है पहले की तरह आज भी किसानो में इस मंदिर का महत्व उतना ही है।
इतना ही नहीं चमु देवता को बलि देने का भी प्रचलन है इस मंदिर में जो इंसान जिस दिशा से आता है उस द्वार के बाहर घास के मैदान में एक बड़ा पत्थर रखा होता है जिसमे बकरे की बलि दी जाती है फिर उसके खून से सफ़ेद कपडे को रंग कर वही पास उसी दिशा के किसी वृक्ष पर बाँध दिया जाता है और फिर बकरे के सर और पूंछ को अंदर चमु देवता के सामने रख दिया जाता है जिससे चमु देवता को दी गयी बलि सफल होती है बलि देने के पीछे का कारण जब किसी किसान ने कभी चमु देवता का आह्वाहन किया होता है और बलि के लिए बोला होता है तब बलि दी जाती है जरुरी नहीं हर कोई बलि ही देता है लोग बलि के बदले नारियल चढ़ाने का भी वादा कर सकते है। इसलिए लोग यहाँ नारियल भी चढ़ाते है।
चमु देवता की आरती
ॐ चमु देवताये नमः
जय चमु देवताये नमः
तुम से प्रभु आस हमारी।|
कृपा करो जंगलो के वासी ,
ॐ चमु देवताये नमः।।
दूध दही और माखन से भोग लगाउ मै,
पशु रक्षा करो देवा कष्ट मिटाओ रे।
ॐ चमु देवताये नमः
जय चमु देवताये नमः।।
सदियों से तुम यहाँ विराजित
करते सब पर कृपा ,
हाथ जोड़ कर विनती करता प्रभु
एक सेवक ऐसा
ॐ चमु देवताये नमः
जय चमु देवताये नमः।।
न कोई लोभ न कोई ईर्ष्या प्रभु
जग जाने तुम्हरि महिमा,
एक तो दर्श दिखा दो प्रभु
मै भी एक सेवक छोटा
ॐ चमु देवताये नमः
जय चमु देवताये नमः।।
चमु देवता से जुड़े कुछ सवाल जवाब (FAQ )
चमु देवता किसके देवता है ?
चमु देवता कास्तकारो (किसानो ) के देवता है।
चमु देवता का मंदिर कहा पर मौजूद है ?
चमु देवता का यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा में मजखाली नामक स्थान से लगभग 4 से 5 किलोमीटर दूर ऊँची पहाड़ी पर मौजूद है।
चमु देवता के मंदिर में बलि प्रथा कब से चली आ रही है ?
चमु देवता के मंदिर में बलि प्रथा सदियों से चली आ रही है।
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