गणेश चतुर्थी कब है : किस दिन है व्रत कहानी महत्व विधि - Ganesh Chaturthi - Happy Ganesh Chaturthi

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गणेश चतुर्थी कब है किस दिन है अगर आपके मन में भी ये संचय है तो आज के आर्टिकल मे हम बात करने वाले है की गणेश चतुर्थी कब है किस दिन है इस आर्टिकल में आपको हम बतायेगे की कैसे आप गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है गणेश चतुर्थी का कैसे व्रत लिया जाता है इसका महत्व क्या है और कैसे पूजा करने से विघ्नहर्ता गणेश आपके सारे संकटो का अंत करते है आइये जानते है विस्तार से गणेश चतुर्थी के बारे में ।

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    गणेश चतुर्थी कब है ?

    हिन्दू धर्म में सदियों से किसी भी कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजी की जाती है क्योकि इन्हे प्रथम देवता का दर्जा दिया गया है आप कोई भी मांगलिक कार्य करने जा रहे है जैसे शादी नामकरण या फिर कोई भी कार्य सबसे पहले प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा होती है उसके उपरान्त अन्य देवताओ की पूजा होती है । साल 2023 में 18 सितम्बर को दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से 19 सितम्बर 3 बजकर 13 मिनट तक गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त है।

    गणेश चतुर्थी क्या है ।

    भादो महीने के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली चतुर्थी गणेश चतुर्थी  है । गणेश चतुर्थी के इस पर्व का बहुत  महत्व है गणेश चतुर्थी का यहाँ महापर्व पूरे दस दिन तक मनाया जाता है लोग बहुत श्रद्धा के साथ गणेश जी की पूजा अर्चना और उनकी मूर्ति को अपने घर में स्थापित करते है और इन दस दिनों में गणेश जी की विधिवत पूजा और उपवास करते है फिर उसके बाद ढोल नगाड़ो के साथ गणपति जी का विसर्जन किया जाता है । वैसे तो देश में हर जगह गणेश चतुर्थी मनाई जाती है लेकिन महाराष्ट्र में इसकी धूम बहुत होती है ।

    गणेश चतुर्थी का क्या महत्त्व है।

     गणेश चतुर्थी  दौरान सच्चे मन  और भक्ति भाव से किये गए सभी कार्य सिद्ध  होते है हर मनोकामना पूर्ण होती है। गणेश जी को इसी लिए विघ्नहर्ता कहा जाता है जो मनुष्य सच्चे दिल और निष्ठा से गणपति जी का  व्रत और  पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो  जाते है । 


    गणेश चतुर्थी की कहानी 

    कहानी के अनुसार माता पार्वती ने स्नान कर अपने मेल से एक पुतले का निर्माण किया जो उन्हें इतना मनभावक लगा की माँ ने इस पुतले में जान दे दी और उस पुतले को अपने पुत्र का दर्जा दिया इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुवा एक बार की बात है माता पार्वती स्नान करने जाती है और गणेश जी से कहती है की जब तक हम स्नान नहीं कर लेते और किसी को भीतर आने को नहीं कहते तब तक तुम यही पहरा देना और किसी को भीतर नहीं आने देना ये हमारा आदेश है ,
    माता की आज्ञा का पालन करने के लिए गणेश जी द्वार पर पहरा देने लगे कुछ समय बाद भगवान् शिव वह से गुजरते है और भीतर को जाने लगते है तभी गणेश जी उन्हें भरे जाने से  रोकते है और भगवान् शिव को भीतर नहीं जाने देते है भगवान शिव गणेश जी को निर्बोध बालक समाज कर उन्हें समझाते है और उन्हें भीतर जाने देने को कहते है लेकिन गणेश जी माता की आज्ञा का पालन करने के कारण भगवान् शिव को युद्ध के लिए ललकारते है इस बात से भगवान् शिव को क्रोध आ जाता है और वो अपने त्रिशूल से गणेश जी का सर धड़ से अलग कर देते है ।
    जब माँ पार्वती स्नान कर वापस लौटती है तो अपने पुत्र मोह में वियोग करने लगती है उनके वियोग से पूरा ब्रह्माण्ड थर्राने लगता है 
    इस विपदा की घडी में भगवान् शिव ने भगवान विष्णु जी से कहा की किसी ऐसे बच्चे का लेकर आये जिसकी माता उस बच्चे की और पीठ कर बैठी हो , भगवान् विष्णु ने इस काम के लिए गरुड़ जी को भेजा गरूर  बहुत ढूढ़ने पर अंत में उन्हें एक हाथिनी डिकी जो अपने बच्चे को और पीठ कर के लेती थी गरूर जी ने उस हाथिनी के बच्चे का सर लिया और भगवान् शिव के पास पहुंचे फिर भगवान् शिव उस सर को जोड़कर पुनः गणेश जी को जीवित कर देते है । सभी देवता गणेश जी को आशीर्वाद देते है की जब भी कोई मांगलिक कार्य होगा सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जायेगी। 



    गणेश चतुर्थी व्रत और पूजा विधि ।

    • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर नहाना चाहिए ।
    • साफ़ वस्त्र पहन कर पूजा स्थान (मंदिर ) की साफ़ सफाई करे ।
    • गणेश जी लिए चौकी की स्थापना कर उसमे साफ़ पीला कपडा बिछाये और केले के पत्ते  पर  मुहूर्त काल में गणेश जी की प्रतिमा को रखे ।
    • फिर एक कलश ले और उसमे लाल रक्षा धागा बांधकर उसपर नारियल रख दे ।
    • कालसः की स्थापना के बाद गणेश जी प्रतिमा को स्नान कराये और फूल फल कुमकुम चन्दन और चावल चढ़ा कर गणेश जी जी पूजा आरम्भ करे ।
    • घी के दीपक जलाकर आरती प्रारंभ करे और अंत में गणेश जी से माफ़ी जरूर मांगे ।
    • गणेश जी का प्रिय भोज मोदक है उन्हें मोदक का भोज जरूर कराये और फिर प्रशाद का वितरण करे । 

    गणेश चतुर्थी शुभकामना  संदेश  (Ganesh Chaturthi Best Wishes )

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    विघ्नहर्ता नाम जिनका,जो दुःख को दूर भगाते है,
    सच्चे मन से जो कोई धयावे,बप्पा दौड़े चले आते है,


    बप्पा के दर से ना कोई खाली हाथ आया,
    जिसने जितना मांगा,उससे बढ़कर पाया ,


    देवा देवा जपता जा ,वो जरूर आएंगे ,
    जो मांग रहा एक पल की ख़ुशी, उसकी झोली भर जाएंगे,

    मेरा सहारा जग में तू है तुझसे दूर मै जाऊ कहा,
    तू है विनाशक तू ही सहायक,तुझे मै भूल पाऊंगा कहा,


    प्रथम पूज्य बप्पा को,आज मै पुकारता हु,
    विघ्नहर्ता आ भी जाओ,राह तुम्हारी मै निहारता हूँ,


    गणपति की भक्ति में,अब सब रंग जाएंगे,
    सच्चे मन से जप ले बन्दे,गणपति तुझे ही बुलाएँगे,


    बप्पा अब देर न करो,दर्शन तो दिखला जाओ,
    राह में कांटे बहुत है,मेरी नैया पार लगा जाओ,


    हे गजानन हे गणनायक,में तुमपे सीस नवाता हु,
    सब देवो में प्रथम पूज्य,मै आपके गुणगान गाता हु,


    गणपति का त्यौहार है आया,खुशियाँ हज़ार है लाया,
    करो मिलकर आराधना इनकी,सब पर इनको प्यार है आया,

    गणेश चतुर्थी से सम्बंधित सवाल जवाब (FAQ )

    गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है ?
    गणेश चतुर्थी इसलिए मनाई जाती क्योकि इस दिन गणेश जी का पुनः जन्म हुवा था 

    गणेश जी को विघ्नहर्ता नाम से क्यों जाना जाता है ?
    कोई भी कार्य आरम्भ करने से पहले भगवान् गणेश जी की पूजा की जाती है क्योकि उनकी पूजा के बिना कोई कार्य पूरा नहीं हो सकता सर्वप्रथम उनकी पूजा करने से समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती है इस लिए गणेश  दूसरा नाम विघ्नहर्ता है ।

    गणेश चतुर्थी कब है ?
    इस साल 2023 में गणेश चतुर्थी 18 सितम्बर दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से 19 सितम्बर 3 बजकर 13 मिनट तक है।

     गणेश जी का वाहन क्या है  ?
    गणेश जी का वाहन चूहा है ।

    भगवान गणेश के 10 नाम क्या है ?
    भगवान् गणेश के 10 नाम इस प्रकार है : गजानन ,गणपति ,लंबोदर ,गजवक्र ,मंगलमूर्ति ,सिद्धिविनायक ,बुद्धिविधाता ,तरुण ,विनायक और गौरीसुत ।

    भगवान गणेश मूर्ति विसर्जन कब है ?
    भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन 28 सितम्बर को है ।

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